तौबा के टूटते का है 'माइल' मलाल क्यूँ
ऐसी तो होती रहती है अक्सर शबाब में
Gulzar
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Rahat Indori
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(622) Peoples Rate This
दिल क्या निगाह-ए-मस्त से मय-ख़ाना बन गया
शुक्र उस ने किया लब पे मगर नाम न आया
बन बन के बिगड़ जाएगी तदबीर कहाँ तक
ऐ सितमगर नहीं देखा जाता
ईमान जाए या रहे जो हो बला से हो
मानें जो मेरी बात मुरीदान-ए-बे-रिया
मुझे काफ़िर ही बताता है ये वाइज़ कम-बख़्त
तुम्हें समझाएँ तो क्या हम कि शैख़-ए-वक़्त हो माइल
न हो शबाब तो कैफ़िय्यत-ए-शराब कहाँ
अश्क-ए-गुलगूँ को न ख़ून-ए-शोहदा को देखा
माइल को जानते भी हो हज़रत हैं एक रिंद