रोया करेंगे आप भी पहरों इसी तरह
अटका कहीं जो आप का दिल भी मिरी तरह
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अब शोर है मिसाल-ए-जुदी इस ख़िराम को
किसी का हुआ आज कल था किसी का
तुम मिरे पास होते हो गोया
जो तेरे मुँह से न हो शर्मसार आईना
हो गया राज़-ए-इश्क़ बे-पर्दा
ये उज़्र-ए-इम्तिहान-ए-जज़्ब-ए-दिल कैसा निकल आया
न करो अब निबाह की बातें
उस नक़्श-ए-पा के सज्दे ने क्या क्या किया ज़लील
गो कि हम सफ़्हा-ए-हस्ती पे थे एक हर्फ़-ए-ग़लत
हाल दिल यार को लिक्खूँ क्यूँकर
चल परे हट मुझे न दिखला मुँह
चल दिए सू-ए-हरम कू-ए-बुताँ से 'मोमिन'