उस नक़्श-ए-पा के सज्दे ने क्या क्या किया ज़लील
मैं कूचा-ए-रक़ीब में भी सर के बल गया
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दुश्नाम-ए-यार तब्-ए-हज़ीं पर गिराँ नहीं
रोया करेंगे आप भी पहरों इसी तरह
नासेहा दिल में तो इतना तू समझ अपने कि हम
जलता हूँ हिज्र-ए-शाहिद ओ याद-ए-शराब में
कल तुम जो बज़्म-ए-ग़ैर में आँखें चुरा गए
अब शोर है मिसाल-ए-जुदी इस ख़िराम को
सौदा था बला-ए-जोश पर रात
ने जाए वाँ बने है ने बिन जाए चैन है
वो जो हम में तुम में क़रार था तुम्हें याद हो कि न याद हो
मोमिन ये असर सियाह-मस्ती का न हो
चल परे हट मुझे न दिखला मुँह
माशूक़ से भी हम ने निभाई बराबरी