सारा दिन तपते सूरज की गर्मी में जलते रहे
ठंडी ठंडी हवा फिर चली सो रहो सो रहो
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Parveen Shakir
Gulzar
Habib Jalib
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(441) Peoples Rate This
अपनी धुन में रहता हूँ
गली गली आबाद थी जिन से कहाँ गए वो लोग
ये हक़ीक़त है कि अहबाब को हम
दिल धड़कने का सबब याद आया
इस क़दर रोया हूँ तेरी याद में
वो शहर में था तो उस के लिए औरों से भी मिलना पड़ता था
दिल में और तो क्या रक्खा है
मुमकिन नहीं मता-ए-सुख़न मुझ से छीन ले
ज़रा सी बात सही तेरा याद आ जाना
वो साहिलों पे गाने वाले क्या हुए
फिर सावन रुत की पवन चली तुम याद आए
जब ज़रा तेज़ हवा होती है