चढ़ा कर तीर नज़रों की कमाँ पर

चढ़ा कर तीर नज़रों की कमाँ पर

हसीनों के क़दम हैं आसमाँ पर

हर इक लम्हा लगे वो आ रहे है

यक़ीं बढ़ता ही जाता है गुमाँ पर

कोई वा'दा वफ़ा हो जाए शायद

भरोसा आज भी है जान-ए-जाँ पर

उतरती ही नहीं बोसों की लज़्ज़त

अभी तक स्वाद रक्खा है ज़बाँ पर

किसी की रूह प्यासी रह न जाए

लिहाज़ा ग़म बरसते है जहाँ पर

अगर भटका तो उस को छोड़ देंगे

नज़र रक्खे हुए हैं कारवाँ पर

अमाँ हम भी किराए-दार ही हैं

भले ही नाम लिक्खा है मकाँ पर

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In Hindi By Famous Poet Navin C. Chaturvedi. is written by Navin C. Chaturvedi. Complete Poem in Hindi by Navin C. Chaturvedi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.