कहीं बैठने दे दिल अब मुझे जो हवास टुक मैं बजा करूँ
नहीं ताब मुझ में कि जब तलक तू फिरे तो मैं भी फिरा करूँ
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देख कर कुर्ती गले में सब्ज़ धानी आप की
हुई शक्ल अपनी ये हम-नशीं जो सनम को हम से हिजाब है
देख कर कुर्ते गले में सब्ज़ धानी आप की
देख अक़्द-ए-सुरय्या हमें अंगूर की सूझी
यार के आगे पढ़ा ये रेख़्ता जा कर 'नज़ीर'
आरज़ू ख़ूब है मौक़ा से अगर हो वर्ना
कोई तो पगड़ी बदलता है औरों से लेकिन
मरता है जो महबूब की ठोकर पे 'नज़ीर' आह
दिल की बे-ताबी ठहरने नहीं देती मुझ को
उस के बाला है अब वो कान के बीच
कल उस के चेहरे को हम ने जो आफ़्ताब लिखा
मिरा दिल है मुश्ताक़ उस गुल-बदन का