साथ चलना है तो फिर छोड़ दे सारी दुनिया
चल न पाए तो मुझे लौट के घर जाने दे
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अपनी आँखों के समुंदर में उतर जाने दे
जब न आने की क़सम आप ने खा रक्खी थी
याद नहीं क्या क्या देखा था सारे मंज़र भूल गए
रोज़ ख़्वाबों में नए रंग भरा करता था
कुछ देर सादगी के तसव्वुर से हट के देख
ता उम्र फिर न होगी उजालों की आरज़ू
मैं ने दुनिया छोड़ दी लेकिन मिरा मुर्दा बदन
मैं एक ज़र्रा बुलंदी को छूने निकला था
आ गया याद उन्हें अपने किसी ग़म का हिसाब
कौन पहचाने मुझे शब भर तो ख़तरों में रहा
मैं एक क़र्ज़ हूँ सर से उतार दे मुझ को