कोई मुझ को ढूँढने वाला
भूल गया है रस्ता मुझ में
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नया लिबास पहन कर भी
अब के बार मैं तुझ से मिलने नहीं आया
वो आया तो इतना प्यार देगा
उभर रहे हैं कई हाथ शब के पर्दे से
घरों में सब्ज़ा छतों पर गुल-ए-सहाब लिए
मिट्टी से कुछ ख़्वाब उगाने आया हूँ
साहिल की रेत चाँद के मुँह पर न डालिए
रंग लाई है हसरत-ए-तामीर
जागते हैं सोते हैं
दिया जलाया दोनों ने
जब खुला बादबान हाथों में