नया लिबास पहन कर भी
दुनिया वही पुरानी है
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कभी हँस कर कभी आँसू बहा कर देख लेता हूँ
आँखें किस का खोज लगाती रहती हैं
मेरी आँखों को मिरी शक्ल दिखा दे कोई
मैं राख होता गया और चराग़ जलता रहा
जब वो साथ होता है
कैसा तारा टूटा मुझ में
जब खुला बादबान हाथों में
यूँ तुझे देख के चौंक उठती हैं सोई यादें
मिट्टी पे कोई नक़्श भी उभरा न रहेगा
कोई मुझ को ढूँढने वाला
दिया जलाया दोनों ने
उस ने ख़त में भेजे हैं