जब वो साथ होता है
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ये तेरे मिरे हाथ
साहिल की रेत चाँद के मुँह पर न डालिए
कभी करना हो अंदाज़ा जब अपने दर्द का मुझ को
तुझ को लिखना है तो ऐसा कोई सफ़हा लिख दे
उभर रहे हैं कई हाथ शब के पर्दे से
मिट्टी से कुछ ख़्वाब उगाने आया हूँ
पुरानी मिट्टी से पैकर नया बनाऊँ कोई
पत्थर होता जाता हूँ
जागते हैं सोते हैं
पहले इंकार बहुत करता है
हर नक़्श है वजूद-ए-फ़ना मेरे सामने
बच्चे ने तितली पकड़ कर छोड़ दी