फूलों की ज़द में आ के कहीं जान से न जाए
मैं ने इसी ख़याल से तितली उड़ाई है
Habib Jalib
Javed Akhtar
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Faiz Ahmad Faiz
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हवस
वजूद कर्ब से आगे
ला-इल्मी
संग-दिल
क़ैद कर लो मुझे ख़यालों में
सारे जज़्बे तिरी चाहत के दिखाई देते
च्यूंटियाँ
हलचल
मैं अपने आप को रोकूँ कहाँ तक
गीली हिज्र की क़ब्रें
चिंगारियों का रक़्स
हवा का रंग नहीं है मगर मिज़ाज तो है