सारे जज़्बे तिरी चाहत के दिखाई देते
काश आँखों में कहीं दिल भी धड़कता होता
Anwar Masood
Jaun Eliya
Rahat Indori
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
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हवस
ला-इल्मी
फूलों की ज़द में आ के कहीं जान से न जाए
अपनी आँखें नहीं जलाऊंगी
सुकूत-ए-शहर-ए-दिल की बेबसी को भी कोई समझे
ज़िंदगी से मिले हुए हो तुम
मैं अपने आप को रोकूँ कहाँ तक
ख़ुद-फ़रेबी रहे तो अच्छा है
सीने से दिल निकाल के हाथों पे रख दिया
गुनाह
ख़ुदी का राज़
यौम-ए-मज़दूर