ख़ुद-फ़रेबी रहे तो अच्छा है
ख़ुद-शनासी तबाह कर देगी
Gulzar
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Wasi Shah
Javed Akhtar
Habib Jalib
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Rahat Indori
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(342) Peoples Rate This
फूलों की ज़द में आ के कहीं जान से न जाए
चिंगारियों का रक़्स
गीली हिज्र की क़ब्रें
ये मुख़्तसर सी शिकन क्या बताएगी तुम को
सुकूत-ए-शहर-ए-दिल की बेबसी को भी कोई समझे
गुनाह
अपनी आँखें नहीं जलाऊंगी
हवस
क़ैद कर लो मुझे ख़यालों में
किसी को याद करने के नहीं मख़्सूस कुछ लम्हे
अपनी आँखों को नोच डाला है
ख़ुदी का राज़