उस को रुख़्सत तो किया था मुझे मालूम न था
सारा घर ले गया घर छोड़ के जाने वाला
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Jaun Eliya
Gulzar
Parveen Shakir
Anwar Masood
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मैं अपने इख़्तियार में हूँ भी नहीं भी हूँ
बिंदराबन के कृष्ण-कन्हैया अल्लाह-हू
इंसान हैं हैवान यहाँ भी है वहाँ भी
आज ज़रा फ़ुर्सत पाई थी आज उसे फिर याद किया
सफ़र को जब भी किसी दास्तान में रखना
वक़्त से पहले
बूढ़ा
चाहतें मौसमी परिंदे हैं रुत बदलते ही लौट जाते हैं
मशीन
कुछ भी बचा न कहने को हर बात हो गई
ख़ुदा के हाथ में मत सौंप सारे कामों को
एक तस्वीर