उस के दुश्मन हैं बहुत आदमी अच्छा होगा
वो भी मेरी ही तरह शहर में तन्हा होगा
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नक़्शा उठा के कोई नया शहर ढूँढिए
जब भी किसी ने ख़ुद को सदा दी
हम लबों से कह न पाए उन से हाल-ए-दिल कभी
दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है
ख़ुश-हाल घर शरीफ़ तबीअत सभी का दोस्त
सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
दुश्मनी लाख सही ख़त्म न कीजे रिश्ता
दीवानगी रहे बाक़ी
एक चिड़िया
यक़ीन चाँद पे सूरज में ए'तिबार भी रख
हिजरत
चौथा आदमी