नक़्शा उठा के कोई नया शहर ढूँढिए
इस शहर में तो सब से मुलाक़ात हो गई
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Anwar Masood
Habib Jalib
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Wasi Shah
Parveen Shakir
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
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हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा
सुना है मैं ने
कोई नहीं है आने वाला फिर भी कोई आने को है
उस के दुश्मन हैं बहुत आदमी अच्छा होगा
यक़ीन चाँद पे सूरज में ए'तिबार भी रख
ये न पूछो कि वाक़िआ क्या है
आज ज़रा फ़ुर्सत पाई थी आज उसे फिर याद किया
हमारा 'मीर'-जी' से मुत्तफ़िक़ होना है ना-मुम्किन
आएगा कोई चल के ख़िज़ाँ से बहार में
खेल
नशा नशे के लिए है अज़ाब में शामिल
बृन्दाबन के कृष्ण कन्हैया अल्लाह हू