वो एक ही चेहरा तो नहीं सारे जहाँ में
जो दूर है वो दिल से उतर क्यूँ नहीं जाता
Jaun Eliya
Gulzar
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Rahat Indori
Habib Jalib
Javed Akhtar
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(416) Peoples Rate This
कुछ भी बचा न कहने को हर बात हो गई
बृन्दाबन के कृष्ण कन्हैय्या अल्लाह हू
उठ के कपड़े बदल घर से बाहर निकल जो हुआ सो हुआ
अब किसी से भी शिकायत न रही
दिल में न हो जुरअत तो मोहब्बत नहीं मिलती
कोई किसी से ख़ुश हो और वो भी बारहा हो ये बात तो ग़लत है
कठ-पुतली है या जीवन है जीते जाओ सोचो मत
अपना ग़म ले के कहीं और न जाया जाए
वालिद की वफ़ात पर
अब ख़ुशी है न कोई दर्द रुलाने वाला
घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें