फ़लक का थाल ही हम ने उलट डाला ज़मीं पर
तुम्हारी तरह का कोई सितारा ढूँडने में
Anwar Masood
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Gulzar
Ahmad Faraz
Habib Jalib
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हम बहुत पछताए आवाज़ों से रिश्ता जोड़ कर
कैसी जन्नत के तलबगार हैं तू जानता है
चाहता हूँ कि पुकारे तुम्हें दिन रात जहाँ
अच्छा इश्क़
हर मुत्तक़ी को इस से सबक़ लेना चाहिए
दिल दे न दे मगर ये तिरा हुस्न-ए-बे-मिसाल
ऐसे मिले नसीब से सारे ख़ुदा कि बस
एक करवट पे रात क्या कटती
बस तिरे आने की इक अफ़्वाह का ऐसा असर
सब अपने अपने ख़ुदाओं में जा के बैठ गए
इश्क़ क्या है ख़ूबसूरत सी कोई अफ़्वाह बस
आइने का सामना अच्छा नहीं है बार बार