कुछ नहीं चाहिए तुझ से ऐ मिरी उम्र-ए-रवाँ
मिरा बचपन मिरे जुगनू मिरी गुड़िया ला दे
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ये सर्दियों का उदास मौसम कि धड़कनें बर्फ़ हो गई हैं
उसे लाख दिल से पुकार लो उसे देख लो
किसी हर्फ़ में किसी बाब में नहीं आएगा
ये नाम मुमकिन नहीं रहेगा मक़ाम मुमकिन नहीं रहेगा
हिज्र के पर भीग जाएँ
दुश्मन-ए-जाँ कई क़बीले हुए
दिल था कि ख़ुश-ख़याल तुझे देख कर हुआ
हमारे दरमियाँ अहद-ए-शब-ए-महताब ज़िंदा है
दिल का क्या है दिल ने कितने मंज़र देखे लेकिन
मैं तन्हा लड़की दयार-ए-शब में जलाऊँ सच के दिए कहाँ तक
मैं फ़ैसले की घड़ी से गुज़र चुकी हूँ मगर