मैं तिनकों का दामन पकड़ता नहीं हूँ
मोहब्बत में डूबा तो कैसा सहारा
Anwar Masood
Wasi Shah
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Gulzar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(381) Peoples Rate This
क़ामत-ए-दिल-रुबा पर शबाब आ गया
दुनिया सँवर गई है निज़ाम-ए-दिगर के बा'द
ज़ाहिद असीर-ए-गेसू-ए-जानाँ न हो सका
पंखुड़ी कोई गुलिस्ताँ से सबा क्या लाई
मैं शाद हूँ तो ज़माने में शादमानी है
ये नीम-बाज़ तिरी अँखड़ियों के मयख़ाने
अंजाम-ए-वफ़ा ये है जिस ने भी मोहब्बत की
बड़ी हसरत से इंसाँ बचपने को याद करता है
क़दम मय-ख़ाना में रखना भी कार-ए-पुख़्ता-काराँ है
ज़िंदगी क़रीब है किस क़दर जमाल से
मआज़-अल्लाह मय-ख़ाने के औराद-ए-सहर-गाही
हम ने भी निगाहों से उन्हें छू ही लिया है