जो दिल को है ख़बर कहीं मिलती नहीं ख़बर
हर सुब्ह इक अज़ाब है अख़बार देखना
Habib Jalib
Gulzar
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Javed Akhtar
Wasi Shah
Rahat Indori
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ये और बात कि इस अहद की नज़र में हूँ
बोले नहीं वो हर्फ़ जो ईमान में न थे
अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जी सँभल जाए
वो ख़्वाब ख़्वाब फ़ज़ा-ए-तरब नहीं आई
आँख से दूर सही दिल से कहाँ जाएगा
कोई और तो नहीं है पस-ए-ख़ंजर-आज़माई
एक मैं भी हूँ कुलह-दारों के बीच
सच्चा झूट
हर आवाज़ ज़मिस्तानी है हर जज़्बा ज़िंदानी है
आओ तुम ही करो मसीहाई
अगर हों कच्चे घरोंदों में आदमी आबाद
खा गया इंसाँ को आशोब-ए-मआश