तुम्ही सरदार हो गुलशन के ये बतला देना
तुम्ही सरदार हो गुलशन के ये बतला देना
कोई हम-सर हो तो दीवार में चुनवा देना
मुतलक़-उल-हुक्म हैं सब इन दिनों घबराए हुए
ये ख़बर उस के हुज़ूर आज ही पहुँचा देना
सर उठाएगा ज़माना ये कहे देता हूँ
जूँही ऐसा हो उसे दार पर खिंचवा देना
मेरे तारीक मकाँ में उसे होगी तकलीफ़
ऐ सबा उस को गुलिस्ताँ ही में ठहरा देना
उस किसी चीज़ पे भूले से भी मचला न करे
मेरे 'दौराँ' दिल-ए-पुर-ख़ूँ को ये समझा देना
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