बे-दारों की दुनिया कभी लुटती नहीं 'दौराँ'
इक शम्अ लिए तुम भी यहाँ जागते रहना
Anwar Masood
Gulzar
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Habib Jalib
Rahat Indori
Wasi Shah
Allama Iqbal
Jaun Eliya
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हर साँस को महकाइए अब देर न कीजे
तह-ए-ख़ंजर
हम शाएर-ए-हयात हैं हम शाएर-ए-हयात!
मसीहा
पंद्रह-अगस्त
ख़ज़ाने भी मिलें इस के एवज़ तो हम न बेचेंगे
कुछ दर्द के मारे हैं कुछ नाज़ के हैं पाले
मिरे ना-रसा तसव्वुर ने सुराग़ पा लिया है
तारीकी में दीप जलाए इंसाँ कितना प्यारा है
शायद किसी की याद का मौसम फिर आ गया
सब मस्तियों में फेंको न पत्थर इधर उधर