शायद किसी की याद का मौसम फिर आ गया
पहलू में दिल की तरह धड़कने लगी है शाम
Rahat Indori
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Gulzar
Anwar Masood
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Habib Jalib
Jaun Eliya
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हम शाएर-ए-हयात हैं हम शाएर-ए-हयात!
पहले घिरे थे बे-ख़बरों के हुजूम में
पंद्रह-अगस्त
मिरे ना-रसा तसव्वुर ने सुराग़ पा लिया है
तारीकी में दीप जलाए इंसाँ कितना प्यारा है
ऐसा न हो ये रात कोई हश्र उठा दे
झूमर
बे-दारों की दुनिया कभी लुटती नहीं 'दौराँ'
मसीहा
इन झिलमिलाते चाँद सितारों की छाँव में
उन मकानों में भी इंसान ही रहते होंगे
पैवंद की तरह नज़र आता है बद-नुमा