फ़लक पे चाँद सितारे निकलने हैं हर शब
सितम यही है निकलता नहीं हमारा चाँद
Wasi Shah
Gulzar
Rahat Indori
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(352) Peoples Rate This
इस शोख़-ए-रम-शिआ'र से कहता सलाम-ए-शौक़
जज़्बा-ए-इश्क़ चाहिए सूफ़ी
नैरंग-ए-इश्क़ आज तो हो जाए कुछ मदद
तअय्युन तसलसुल है नक़्श-ए-बदन का
वाह क्या हम को बनाया और बना कर रह गए
जो बशर हर वक़्त महव-ए-ज़ात है
वही ज़िद उन को है वही है हट
मेरी क़िस्मत की कजी का अक्स है
हस्ती-ए-नीस्त-नुमा दीदा-ए-हैराँ समझा
देख कर तेरी आलम-आराई
मुझ से कहते हो क्या कहेंगे आप
उश्शाक़ जो तसव्वुर-ए-बर्ज़ख़ के हो गए