देख कर तेरी आलम-आराई
तेरी पिन्हाई और पैदाई
देख राज़-ओ-नियाज़ को 'साक़ी'
ख़ुद-तमाशा ओ ख़ुद-तमाशाई
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सिक्का अपना नहीं जमता है तुम्हारे दिल पर
महव-ए-लिक़ा जो हैं मलकूती-ख़िसाल हैं
ये ज़मज़मा तुयूर-ए-ख़ुश-आहंग का नहीं
फ़लक पे चाँद सितारे निकलने हैं हर शब
मिलते नहीं हो हम से ये क्या हुआ वतीरा
हसरत-ओ-उम्मीद का मातम रहा
गया सब रंज-ओ-ग़म कुंज-ए-क़फ़स का
हम को भरम ने बहर-ए-तवहहुम बना दिया
वो रम-शिआ'र मिरा शोख़-दीदा आया था
ये रिसाला इश्क़ का है अदक़ तिरे ग़ौर करने का है सबक़
नैरंग-ए-इश्क़ आज तो हो जाए कुछ मदद
दिल भी अब पहलू-तही करने लगा