मायूसी की बर्फ़ पड़ी थी लेकिन मौसम सर्द न था

मायूसी की बर्फ़ पड़ी थी लेकिन मौसम सर्द न था

आज से पहले दिल में यारो! इतना ठंडा दर्द न था

तन्हाई की बोझल रातें पहले भी तो बरसी थीं

ज़ख़्म नहीं थे इतने क़ातिल ग़म इतना बे-दर्द न था

फिरते हैं अब रुस्वा होते कल तक ये रफ़्तार न थी

शहर में थीं सौ कू-ए-मलामत दिल आवारा-गर्द न था

मरने पर भी लौ देती थी दीवाने के दिल की आग

पथराई थीं आँखें लेकिन फूल सा चेहरा ज़र्द न था

हर्फ़-ए-तसल्ली मौज-ए-हवा थे मौज-ए-हवा से होता क्या

सीने का पत्थर था 'क़ैसर', ग़म दामन की गर्द न था

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In Hindi By Famous Poet Qaisar-ul-Jafri. is written by Qaisar-ul-Jafri. Complete Poem in Hindi by Qaisar-ul-Jafri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.