वो फूल जो मिरे दामन से हो गए मंसूब
ख़ुदा करे उन्हें बाज़ार की हवा न लगे
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अपनी तन्हाई की पलकों को भिगो लूँ पहले
दिल की आग कहाँ ले जाते जलती बुझती छोड़ चले
तिरी बेवफ़ाई के बाद भी मिरे दिल का प्यार नहीं गया
मैं पिछली रात क्या जाने कहाँ था
रास्ता देख के चल वर्ना ये दिन ऐसे हैं
मायूसी की बर्फ़ पड़ी थी लेकिन मौसम सर्द न था
काग़ज़ काग़ज़ धूल उड़ेगी फ़न बंजर हो जाएगा
तुम आ गए हो ख़ुदा का सुबूत है ये भी
इतना सन्नाटा है बस्ती में कि डर जाएगा
सावन एक महीने 'क़ैसर' आँसू जीवन भर
ये वक़्त बंद दरीचों पे लिख गया 'क़ैसर'
तुम से बिछड़े दिल को उजड़े बरसों बीत गए