रास्ता देख के चल वर्ना ये दिन ऐसे हैं
गूँगे पत्थर भी सवालात करेंगे तुझ से
Gulzar
Wasi Shah
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Anwar Masood
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(512) Peoples Rate This
जो डूबना है तो इतने सुकून से डूबो
ये ज़िंदगी है कि आसेब का सफ़र है मियाँ
काग़ज़ काग़ज़ धूल उड़ेगी फ़न बंजर हो जाएगा
दीवारों से मिल कर रोना अच्छा लगता है
फ़न वो जुगनू है जो उड़ता है हवा में 'क़ैसर'
तिरी बेवफ़ाई के बाद भी मिरे दिल का प्यार नहीं गया
दस्तक में कोई दर्द की ख़ुश्बू ज़रूर थी
घर लौट के रोएँगे माँ बाप अकेले में
तुम्हारे बस में अगर हो तो भूल जाओ मुझे
डूबने वालो हवाओं का हुनर कैसा लगा
हवा बहुत है मता-ए-सफ़र सँभाल के रख