मैं अपने घर में दिए की तरह
जलना चाहता था
मगर अब एक फ़्लैट में
बल्ब की सूरत जल रहा हूँ
अगर कोई मुझे बुझाना चाहता है
तो मेरे बच्चे फिर मुझे जला देते हैं
Allama Iqbal
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मोर्निंग की एक तस्वीर
शहज़ादे की मौत
एक पत्थर कि दस्त-ए-यार में है
तूफ़ानी रात की आवाज़
आज सितारे आँगन में हैं उन को रुख़्सत मत करना
ख़्वाब में जो कुछ देख रहा हूँ उस का दिखाना मुश्किल है
बन-मानुस
शहर की गलियाँ घूम रही हैं मेरे क़दम के साथ
अल्मिया खेल का एक किरदार
मुलाक़ात
दजला के ख़्वाब
ग़म-ए-जानाँ की ख़बर लाती है