ग़म-ए-जानाँ की ख़बर लाती है
कोई आवाज़ अगर आती है
जाने किस सम्त हवा की ज़ंजीर
खींच कर मुझ को लिए जाती है
कैसा आलम है कि तन्हाई भी
दर-ओ-दीवार से टकराती है
ना-गहाँ आई थी हम पर भी 'जमील'
वो क़यामत जो गुज़र जाती है
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Habib Jalib
Jaun Eliya
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Anwar Masood
Rahat Indori
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शाम अजीब शाम थी जिस में कोई उफ़क़ न था
अपनी नाकामियों पे आख़िर-ए-कार
दजला के ख़्वाब
अल्मिया खेल का एक किरदार
वीरानी
पहाड़ी की आख़िरी शाम
मोर्निंग की एक तस्वीर
तूफ़ानी रात की आवाज़
हम कि मजनूँ को दुआ कहते हैं
कपास का फूल
वो बातें इश्क़ कहता था कि सारा घर महकता था
मैं बुलंदियों पर जल रहा हूँ