ऐ रोने वाले बादल
चुप हो जा
दस्तक देने वाले झींगुर
बाहर आ
कोयल मुझ में कूक रही है
डाली मुझ में सूख रही है
ख़िज़ाँ का सूरज निकल रहा है
मैं भी चुप हूँ
तू भी चुप हो जा
मैं भी सोने वाला हूँ
तू भी किसी दहक़ान के घर सो जा
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Gulzar
Javed Akhtar
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(382) Peoples Rate This
दरवेश
जाने दो इन नग़्मों को आहंग-ए-शिकस्त-ए-साज़ न समझो
रात का ताज
कपास का फूल
आसमाँ पर इक सितारा शाम से बेताब है
अपने सब चेहरे छुपा रक्खे हैं आईने में
एक पत्थर कि दस्त-ए-यार में है
अल्मिया खेल का एक किरदार
वो बातें इश्क़ कहता था कि सारा घर महकता था
क़िस्सा-ए-चहार-ख़्वाब
मोर्निंग की एक तस्वीर
मैं बुलंदियों पर जल रहा हूँ