हम उसे याद बहुत आएँगे
जब उसे भी कोई ठुकराएगा
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जीत ले जाए कोई मुझ को नसीबों वाला
मैं अपने दिल से निकालूँ ख़याल किस किस का
खुला है झूट का बाज़ार आओ सच बोलें
आओ कोई तफ़रीह का सामान किया जाए
गाते हुए पेड़ों की ख़ुनुक छाँव से आगे निकल आए
आप-बीती
मिल कर जुदा हुए तो न सोया करेंगे हम
यूँ बरसती हैं तसव्वुर में पुरानी यादें
तरब-ख़ानों के नग़्मे ग़म-कदों को भा नहीं सकते
तुम पूछो और मैं न बताऊँ ऐसे तो हालात नहीं
जब भी आता है मिरा नाम तिरे नाम के साथ
क्या मस्लहत-शनास था वो आदमी 'क़तील'