जब भी आता है मिरा नाम तिरे नाम के साथ
जाने क्यूँ लोग मिरे नाम से जल जाते हैं
Wasi Shah
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Gulzar
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(388) Peoples Rate This
राब्ता लाख सही क़ाफ़िला-सालार के साथ
अब जिस के जी में आए वही पाए रौशनी
तुम्हारी बे-रुख़ी ने लाज रख ली बादा-ख़ाने की
जो भी ग़ुंचा तिरे होंटों पे खिला करता है
लुढ़कता पत्थर
ज़िंदगी या तवाइफ़
आबाद उसी ने दिल की वादी की है
चकले
उस अदा से भी हूँ मैं आश्ना तुझे इतना जिस पे ग़ुरूर है
दीवाली
ब-पास-ए-दिल जिसे अपने लबों से भी छुपाया था
हालात से ख़ौफ़ खा रहा हूँ