मसअले हल करते करते आदमी का ज़ेहन भी
बे-तरह उलझा हुआ इक मसअला हो जाएगा
Parveen Shakir
Anwar Masood
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Gulzar
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
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हर इक की है पसंद अपनी हर इक का है मिज़ाज अपना
रहे ख़याल हिक़ारत से देखने वालो
ऐ ख़ुदा मैं सुन रहा हूँ आहटें उस वक़्त की
ख़ुशी हम से किनारा कर रही है
ज़िंदगी का भी किया भरोसा है
अब मुझे थोड़ी सी ग़फ़लत से भी डर लगता है
तुम्हें ऐ काश कोई राज़ ये समझा गया होता
आज बार-ए-गोश है मेरी सदा उस को मगर
हमारा दिल तो ग़म में भी ख़ुशी महसूस करता है
हम ने दुनिया से सुलूक ऐसा किया है 'राना'
ख़ुद तराशना पत्थर और ख़ुदा बना लेना
हर शख़्स यहाँ साहिब-ए-इदराक नहीं है