हम ने दुनिया से सुलूक ऐसा किया है 'राना'
हम न होंगे तो बहुत याद करेगी दुनिया
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मसअले हल करते करते आदमी का ज़ेहन भी
तुम्हारी राह में आँखें बिछाए बैठा हूँ
मेरे ख़त का जवाब आया था
तुम्हें ऐ काश कोई राज़ ये समझा गया होता
ऐ ख़ुदा मैं सुन रहा हूँ आहटें उस वक़्त की
अब मुझे थोड़ी सी ग़फ़लत से भी डर लगता है
रहे ख़याल हिक़ारत से देखने वालो
हर इक की है पसंद अपनी हर इक का है मिज़ाज अपना
हर शख़्स यहाँ साहिब-ए-इदराक नहीं है
ज़िंदगी का भी किया भरोसा है
हमारा दिल तो ग़म में भी ख़ुशी महसूस करता है