सफ़र इक दूसरे का एक सा है

सफ़र इक दूसरे का एक सा है

बदन मंज़िल नहीं है मरहला है

मिरे माथे पे जो ताबिंदगी है

फ़ना होने से पहले की क़बा है

मैं तुझ को उम्र सारी याद आऊँ

तिरे इस भूलने की ये सज़ा है

वो महफ़िल में वही तन्हाई में भी

मुझी में आ के मुझ को ढूँढता है

तिरी नज़रों से गुज़री रहगुज़र भी

हज़ारों मंज़िलों का रास्ता है

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In Hindi By Famous Poet Renu Nayyar. is written by Renu Nayyar. Complete Poem in Hindi by Renu Nayyar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.