कोई मुँह चूम लेगा इस नहीं पर
शिकन रह जाएगी यूँही जबीं पर
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पी के ऐ वाइज़ नदामत है मुझे
ये सीधे जो अब ज़ुल्फ़ों वाले हुए हैं
जोबन उन का उठान पर कुछ है
आबाद करें बादा-कश अल्लाह का घर आज
पर्दे पर्दे में ये कर लेती हैं राहें क्यूँकर
वो हों मुट्ठी में उन की दिल हो हम हों
पाऊँ तो इन हसीनों का मुँह चूम लूँ 'रियाज़'
ले उड़े गेसू परेशानी मिरी
कहाँ ये बात हासिल है तिरी मस्जिद को ऐ ज़ाहिद
वो कौन है दुनिया में जिसे ग़म नहीं होता
मेरी सज-धज तो कोई इश्क़-ए-बुताँ में देखे
न तारे अफ़्शाँ न कहकशाँ है नमूना हँसती हुई जबीं का