Ghazals of Saail Dehlvi

Ghazals of Saail Dehlvi
नामसाइल देहलवी
अंग्रेज़ी नामSaail Dehlvi
जन्म की तारीख1868
मौत की तिथि1945

ज़ोम न कीजो शम्अ-रू बज़्म के सोज़ ओ साज़ पर

वफ़ा का बंदा हूँ उल्फ़त का पासदार हूँ मैं

उड़ा सकता नहीं कोई मिरे अंदाज़-ए-शेवन को

सुना भी कभी माजरा दर्द-ओ-ग़म का किसी दिल-जले की ज़बानी कहो तो

मोहब्बत में जीना नई बात है

मिले ग़ैरों से मुझ को रंज ओ ग़म यूँ भी है और यूँ भी

ख़िज़ाँ का जो गुलशन से पड़ जाए पाला

जताते रहते हैं ये हादसे ज़माने के

होते ही जवाँ हो गए पाबंद-ए-हिजाब और

हक़-ओ-नाहक़ जलाना हो किसी को तो जला देना

हमें कहती है दुनिया ज़ख़्म-ए-दिल ज़ख़्म-ए-जिगर वाले

बसा-औक़ात आ जाते हैं दामन से गरेबाँ में

अमानत मोहतसिब के घर शराब-ए-अर्ग़वाँ रख दी

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