कारवाँ लुट गया राहबर छुट गया रात तारीक है ग़म का यारा नहीं

कारवाँ लुट गया राहबर छुट गया रात तारीक है ग़म का यारा नहीं

राह में भी कोई शम्अ जलती नहीं आसमाँ पर भी कोई सितारा नहीं

ये बहार-ओ-ख़िज़ाँ ये ख़ुशी और ग़म ये हसीं नाज़नीं दिल के पत्थर सनम

सब सहारे हैं बस चार दिन के लिए ज़िंदगी-भर का कोई सहारा नहीं

मेरी ग़ैरत मिरी आन का इम्तिहाँ तेरी साज़िश पे भारी है ऐ बाग़बाँ

जान दे दूँ अभी ये तो मंज़ूर है गुलिस्ताँ छोड़ दूँ ये गवारा नहीं

घट गई या तो ज़ौक़-ए-सफ़र की लगन बढ़ गई या नई लग़्ज़िशों से थकन

कोई तो बात है जो सर-ए-रह-गुज़र आज मंज़िल ने हम को पुकारा नहीं

तुम हो मुख़्तार ये दिल की आवाज़ है आख़िर इस बात में कौन सा राज़ है

जिस को निस्बत तुम्हारे ही दर से रही वो मुक़द्दर भी तुम ने सँवारा नहीं

इस से बढ़ कर कोई और कैसे जिए उम्र-भर हम ने इक बेवफ़ा के लिए

कौन सी रात आँखों में काटी नहीं कौन सा दिन तड़प कर गुज़ारा नहीं

रास आए जिसे उस को आसान है इश्क़ की वर्ना हर मौज तूफ़ान है

ऐ 'सबा' एक दरिया है ये आग का वो भी ऐसा कि जिस का किनारा नहीं

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In Hindi By Famous Poet Saba Afghani. is written by Saba Afghani. Complete Poem in Hindi by Saba Afghani. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.