Ghazals of Sadique Naseem

Ghazals of Sadique Naseem
नामसादिक़ नसीम
अंग्रेज़ी नामSadique Naseem
जन्म की तारीख1924

यूँ तो हर एक शख़्स ही तालिब समर का है

यही नहीं कि फ़क़त तिरी जुस्तुजू भी मैं

वो जिस का रंग सलोना है बादलों की तरह

उदास उदास सर-ए-साग़र-ओ-सुबू भी मैं

सुकूत-ए-मर्ग में क्यूँ राह-ए-नग़्मा-गर देखूँ

शिकस्त-ए-आबला-ए-दिल में नग़्मगी है बहुत

रश्क-ए-महताब जहाँ-ताब था हर क़र्या-ए-जाँ

नज़र नज़र से वो कलियाँ खिला खिला भी गया

किस मुँह से ज़िंदगी को वो रख़्शंदा कह सकें

जो लब पे न लाऊँ वही शे'रों में कहूँ मैं

जब भी तिरी क़ुर्बत के कुछ इम्काँ नज़र आए

इस एहतिमाम से परवाने पेशतर न जले

हर शख़्स को ऐसे देखता हूँ

'बेदिल' का तख़य्युल हूँ न ग़ालिब की नवा हूँ

अज़मत-ए-फ़िक्र के अंदाज़ अयाँ भी होंगे

अपनी आँखों से तो दरिया भी सराब-आसा मिले

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