कुछ लोग इब्तिदा-ए-रिफ़ाक़त से क़ब्ल ही
आइंदा के हर एक गुज़िश्ता तक आ गए
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Gulzar
Allama Iqbal
Wasi Shah
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(496) Peoples Rate This
जब बीनाई सावन ने चुराई हो
ज़िक्र मेरा है आसमान में क्या
शोरिश-ए-वक़्त हुई वक़्त की रफ़्तार में गुम
तज़ादों से इबारत
सफ़र ला सफ़र
ज़वाल के आईने में ज़िंदा अक्स
होने की इक झलक सी दिखा कर चला गया
सब करिश्मे तअल्लुक़ात के हैं
हैरत-ए-पैहम हुए ख़्वाब से मेहमाँ तिरे
खुलता है यूँ हवा का दरीचा समझ लिया
जो तिरे ख़ित्ता-ए-बे-आब की ख़्वाहिश न बना