छलके हुए थे जाम परेशाँ थी ज़ुल्फ़-ए-यार
कुछ ऐसे हादसात से घबरा के पी गया
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
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Habib Jalib
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Rahat Indori
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रूदाद-ए-मोहब्बत क्या कहिए कुछ याद रही कुछ भूल गए
राहज़न आदमी रहनुमा आदमी
हर मरहला-ए-शौक़ से लहरा के गुज़र जा
जिन से अफ़्साना-ए-हस्ती में तसलसुल था कभी
ख़ता-वार-ए-मुरव्वत हो न मरहून-ए-करम हो जा
ऐ दिल-ए-बे-क़रार चुप हो जा
फिर उमड आए हैं यादों के सुहाने बादल
पूछा किसी ने हाल किसी का तो रो दिए
झूम कर गाओ मैं शराबी हैं
नज़र नज़र बे-क़रार सी है नफ़स नफ़स में शरार सा है
सोने चाँदी की चमकती हुई मीज़ानों में
छुप के आएगा कोई हुस्न-ए-तख़य्युल की तरह