छुप के आएगा कोई हुस्न-ए-तख़य्युल की तरह
आज की रात चराग़ों को जलाना है मना
खोल दो ज़ेहन के सहमे हुए दरवाज़ों को
आज जज़्बात पे लहरों का बिठाना है मना
Javed Akhtar
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Gulzar
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1168) Peoples Rate This
मर गए जिन के चाहने वाले
जिस अहद में लुट जाए फ़क़ीरों की कमाई
दुनिया-ए-हादसात है इक दर्दनाक गीत
चाँदनी शब है सितारों की रिदाएँ सी लो
नग़्मों की इब्तिदा थी कभी मेरे नाम से
मआल-ए-नग़्मा-ओ-मातम फ़रोख़्त होता है
एक शबनम के क़तरे की तक़दीर को
ऐ कि तख़्लीक़-ए-बहर-ओ-बर के ख़ुदा
रंग उड़ने लगा है फूलों का
तिरी नज़र के इशारों से खेल सकता हूँ
जो चमन की हयात को डस ले
ऐ हुस्न-ए-लाला-फ़ाम! ज़रा आँख तो मिला