मर गए जिन के चाहने वाले
उन हसीनों की ज़िंदगी क्या है
Jaun Eliya
Wasi Shah
Rahat Indori
Javed Akhtar
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Gulzar
Allama Iqbal
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1105) Peoples Rate This
जिन से अफ़्साना-ए-हस्ती में तसलसुल था कभी
ये किनारों से खेलने वाले
ऐ दिल-ए-बे-क़रार चुप हो जा
ख़ता-वार-ए-मुरव्वत हो न मरहून-ए-करम हो जा
पूछा किसी ने हाल किसी का तो रो दिए
फिर उमड आए हैं यादों के सुहाने बादल
मैं तल्ख़ी-ए-हयात से घबरा के पी गया
बे-क़रारी में भी अक्सर दर्द-मंदान-ए-जुनूँ
काँटे तो ख़ैर काँटे हैं इस का गिला ही क्या
मता-ए-कौसर-ओ-ज़मज़म के पैमाने तिरी आँखें
है दुआ याद मगर हर्फ़-ए-दुआ याद नहीं
दुख-भरी दास्तान माज़ी की