जीतेंगे न हम से बाज़ी-ए-इश्क़
अग़्यार के पिट पड़ेंगे पाँसे
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Gulzar
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Rahat Indori
Habib Jalib
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उन की चुटकी में दिल न मल जाता
कअ'बे में सख़्त-कलामी सुन ली
ज़िंदगी तक मिरी हँस लीजिए आप
अजी फेंको रक़ीब का नामा
बहुत ख़्वाब-ए-ग़फ़लत में दिन चढ़ गया
चश्म-ए-मय-गूँ वहाँ शराब लज़ीज़
बोसा हर वक़्त रुख़ का लेता है
क़ाफ़िला जाता है साग़र की तरफ़ रिंदों का
हिचकियाँ आती हैं पर लेते नहीं वो मेरा नाम
की ख़िताबत को गर ख़ुदा समझा
बद्र और महर दो हैं नाम उन के