कुछ तो अपने लिए भी रखना है
ज़ख़्म औरों को क्यूँ दिखाएँ सब
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देखे जो मेरी नेकी को शक की निगाह से
मैं तुझ से लाख बिछड़ कर यहाँ वहाँ जाता
कहो तो आज बता दें तुम्हें हक़ीक़त भी
वो भी हमारे नाम से बेगाने हो गए
अपनी आदत कि सब से सब कह दें
तेग़ खींचे हुए खड़ा क्या है
रह गया कम ही गो सफ़र बाक़ी
दाइम सराब इक मिरे अंदर है क्या करूँ
चाँद सूरज की तरह तुम भी हो क़ुदरत का खेल
खुल के बातें करें सुनाएँ सब
कैसे हो क्या है हाल मत पूछो
ज़िंदगी इस क़दर कठिन क्यूँ है