वो एक ख़्वाब जो फिर लौट कर नहीं आया
वो इक ख़याल जिसे मैं भुला नहीं सकता
Anwar Masood
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Gulzar
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(867) Peoples Rate This
हम जो पहले कहीं मिले होते
खुल के बातें करें सुनाएँ सब
गुफ़्तुगू तीर सी लगी दिल में
ज़ुल्म है तख़्त ताज सन्नाटा
ये अलग बात कि वो मुझ से ख़फ़ा रहता है
निकले थे दोनों भेस बदल के तो क्या अजब
देखे जो मेरी नेकी को शक की निगाह से
मैं तुझ से लाख बिछड़ कर यहाँ वहाँ जाता
किसी क़िस्मत में एक घर निकला
ये तमन्ना है कि अब और तमन्ना न करें
क्या नहीं जानता मुझे कोई