गुफ़्तुगू तीर सी लगी दिल में
अब है शायद इलाज सन्नाटा
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दाइम सराब इक मिरे अंदर है क्या करूँ
वो भी हमारे नाम से बेगाने हो गए
दोस्ती कुछ नहीं उल्फ़त का सिला कुछ भी नहीं
कोई शय एक सी नहीं रहती
जब ये माना कि दिल में डर है बहुत
जीना अज़ाब क्यूँ है ये क्या हो गया मुझे
ख़ाली बरामदों ने मुझे देख कर कहा
मुझे ख़बर न थी इस घर में कितने कमरे हैं
झूटी उम्मीद की उँगली को पकड़ना छोड़ो
ये तमन्ना है कि अब और तमन्ना न करें
हज़ार चाहें मगर छूट ही नहीं सकती
वो एक ख़्वाब जो फिर लौट कर नहीं आया