ग़म का सूरज तो डूबता ही नहीं
धूप ही धूप है किधर जाएँ
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Gulzar
Anwar Masood
Allama Iqbal
Rahat Indori
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(538) Peoples Rate This
चंद लम्हे को तू ख़्वाबों में भी आ कर झाँक ले
इस से पहले कि सर उतर जाएँ
शहर भर के आईनों पर ख़ाक डाली जाएगी
सफ़ीना मौज-ए-बला के लिए इशारा था
तिलिस्म तोड़ दिया इक शरीर बच्चे ने
हमारा शेर भी लौह-ए-तिलिस्म है शायद
रात की सरहद यक़ीनन आ गई
आरज़ूओं की रुतें बदले ज़माने हो गए
हम अपने जलते हुए घर को कैसे रो लेते
लम्हा लम्हा तजरबा होने लगा